Monday, February 18, 2008

पलाश का फूल

एक दोस्त के ब्लॉग पर पलाश के फूल पर कविता पढ़ने को मिली तो मन किया कुछ लिखना चाहिए।
पलाश के फूल से पहला परिचय, आज सोचती हूँ तो हंसी आती है. बहुत पहले की बात है. एक दिन हम कुछ दोस्त एक गेम खेल रहे थे जिसमे हमे कुछ गेस करने होते थे. मुझे जिसके बारे मे गेस मारने थे, उसका पसंदीदा फूल पलाश का फूल था और तब तक मुझे पता ही नही था की ये चीज़ क्या होती है. मेरा गेस ग़लत निकला. मैने ये मानने से मना कर दिया की ऐसा कोई फूल होता भी है तो उसने एक कविता की लाइने बतायीं
आए महंत बसंत
किंशुक छत्र लगा बाँध पाग पीला
मै थोड़ा फ्र्स्टू टाइप की थी मुझे लगा की उसने मुझे ग़लत गेस करने के लिए ही पलाश का फूल चुना था. मै उससे जम कर गुस्सा हुई और कई दिन तक बात नही की।
काफ़ी दिन बाद मुझे खुद ही अपना गुस्सा भूलना पड़ा, क्योंकि उसने मेरे गुस्से को नोटिस ही नही किया।
बहुत दिन बाद जब उसे बताया की मै उससे इस बात को ले कर गुस्सा थी तो उसने बड़ी मासूमियत से कहा की अब कभी गुस्सा होना तो प्लीज़ बता देना की तुम गुस्सा हो नही तो हमे पता ही नही चल पाएगा।
उसके बाद आजतक जब किसी को ये फूल पसंद करते हुए सुनती हूँ तो हँसी आती है खुद पर।
जब किसी की कोई पसंद अनोखी होती है तो लगता है की ये ही पसंद क्यों. किसी को पलाश का फूल पसंद है तो ज़रूर इसके पीछे कोई वजह होगी. हमारी कुछ उम्र ही ऐसी थी की हम गेस करते थे की कुछ इश्क-विश्क जैसा मामला होगा. हमने बहुत कोशिश की पता लगाने की लेकिन एक चुप तो हज़ार चुप. कभी पता ही नही लगा की आख़िर क्या कोई ऐसा मामला था।
उसकी इस फूल की दीवानगी अभी तक है और उसके जन्म दिन के दिनो मे ही पलाश का फूल खिलता है मज़े की बात है की वो इकट्ठा करता है ढेर सारे फूल अभी तक.

5 comments:

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Hey nisha....lovely post! I know who is that person :-) In fact he gets Palash ka phool as a gift on his every b'day from his friends. Aur dekho mujhe, main yahan chennai mein Palash ko 4 shal se dhoondh rahi hun aur abtak darshan nahi diya:-( Last yr in holi, I visited my college campus just to see palash, kyunki wahan mujhe Palash dikh jata hai. Main to pagal ho jati hun palash ko dekh. Palash ki baat hi kuch aur hai!

रेवा स्मृति (Rewa) said...

By the way..tera gussa....hai hai...wah wah...hehehehe :-)

निशा said...

शुक्रिया रेवा,
हाँ मुझे पता है की उसे जन्मदिन पर पलाश के फूल गिफ्ट मिलते हैं. उसे पहली बार ये गिफ्ट मैंने ही दिया था. चेन्नई तो मैं कभी रही नहीं हूँ पर लगता है की द० भारत में पलाश कम ही दिखता है
अब गुस्से का क्या कहें आप ही बताओ की गुस्सा नहीं आएगा उसने अपने ब्लोग पर ब्लोग रोल में मेरे ब्लोग का लिंक डाल दिया लेकिन एक जवाब देना जरुरी नहीं समझा. आखिर बिना ऑनलाईन हुए तो वो ब्लोग रोल में लिंक डाल नहीं सकता है
आपने ऑरकुट में सुन्दर फोटो लगायी है

alok said...

mere blog par bhi palash se geet hai padho. shayad gunguna sako.
aisi hui barsat
bhinga sari raat

अभिषेक मिश्र said...

Ache lage posts aapke.kuchbhuli yaadein wapas aa gayein. Likhti rahein.Kripya word verification hata lein.