Saturday, February 23, 2008

मन्दिर

अपने देश मी न रहने से कई प्रोब्लम्स होती हैं। मनपसंद चीजें नही मिलती- खाने की , देखने की और पता नही क्या क्या होता है जो छूट जाता है।
कई दिन मन करता है किसी मन्दिर जाने का, जैसे हनुमान जी का मन्दिर ! हर कही मिल जाता है भारत में, बस घर से निकलो और मन्दिर सामने। क्यूट से हनुमान जी खूब सारा लाल रंग पोते मुंह उठाये मिल जायेंगे। झट-पट हनुमान चालीसा या और जो कुछ आता है पढ़ डालो और मन्दिर का इनाम- प्रसाद लो और चलते बनो। क्या मजे होते हैं अपने घर रहने पर। अब पूरी दुनिया में तो गली-गली में मन्दिर मिलने से रहा।
मेरे दादाजी, हमारे गाँव के मन्दिर के पुजारी थे। मन्दिर क्या था, छोटा सा घेरा था जिसमे एक हनुमान जी की छोटी सी मूर्ति थी। हम सब पापा के साथ रहते थे पर दादाजी हमेशा गाँव ही रहे। उस मन्दिर मी बड़ी खास बात थी। वहाँ लोग मनौती मानते थे और पूरी होने पर या और खुशी के मौके पर हनुमान जी को वस्त्र चढाते थे। वो वस्त्र वास्तव मे कागज एक एक टुकड़ा होता था। जब मैं समझदार हुई तो मुझे बड़ा अजीब लगता था कि हनुमान जी को चढाना ही है तो कपड़े का वस्त्र क्यों नही चढाया जाता, कागज का टुकड़ा क्यों? मैं जब भी दादा जी से पूछती तो वो टाल देते थे। आखिर एक दिन उन्होंने बताया जब मैं वास्तव में कारण समझने लायक हो गई थी तब।
उन्होंने बताया कि मन्दिर मे अपनी खुशी मे कुछ चढाना सभी का हक़ होता है और जरुरी नही कि जो खुश हों उनके पास पैसे भी हों और अगर पैसे भी हों तो छोटे से गाँव मे अधिकतर गरीब आबादी मे कपड़े चढाना हो सकता है किसी के वश मे न हो तो वो क्या करेगा? भगवान् के आगे तो सभी बराबर होते हैं । लोगो की भेट भी बराबर ही रहे इसलिए कागज के कपड़े पहनते हैं भगवान्।
मुझे हरिवंश राय बच्चन जी कि एक कहानी याद आती है, छोटी सी है- दो बहने थीं चुन्नी और मुन्नी । चुन्नी तीसरी में पढ़ती थी और मुन्नी दूसरी में। चुन्नी ने मनौती मानी कि अगर वो पास हुयी तो हनुमान जी को एक रुपये का प्रसाद चढाएगी , तो मुन्नी ने भी वैसे ही मनौती मान ली। चुन्नी तो पास हो गई पर मुन्नी नही। मां ने चुन्नी के लिए प्रसाद मँगवाया। जब वो प्रसाद चढाने जाने लगी तो मुन्नी भी ललचाई उसने मुंह गिरा के मां से पूछा कि मां जो पास नही होते वो प्रसाद नही चढा सकते? मां को प्यार आ गया उसने मुन्नी के लिए भी प्रसाद मंगवा लिया।
जब मुन्नी प्रसाद चढा रही थी तो चुन्नी के मुंह पर ईर्ष्या का, मां के मुंह पर कौतुक का, मुन्नी के मुंह पर आह्लाद का और हनुमान जी के मुंह पर झेंप का भाव था।
ये कहानी पढने के बाद जब मैं मन्दिर जाती थी तो हनुमान जी को देखते ही हँसी आ जाती थी। एक बार तो मैंने भी मनौती मानी। मेरी भी मनौती नही पूरी हुयी। अब मां तो थीं नही प्यार करने को तो मुझे ही ख़ुद पर प्यार आ गया और मैंने हनुमान जी को पूरे ११ रुपये का प्रसाद चढा दिया और ये सोच के खुश होती रही कि वो बेचारे कितना झेंपे होंगे।
अब तो भगवान् से कुछ मांगती नही जल्दी जानती हूँ कि आज इंसान इतना लालची हो गया है कि भगवान् बेचारे ख़ुद नाराज रहते होंगे कहीं मुझ पर ही न झल्लाहट निकाल दे।
भगवान् जी मजाक था बुरा मत मानिएगा!

9 comments:

रेवा स्मृति (Rewa) said...

बहुत ख़ूब! दूर देश में रहना फिर अपने देश को मिस करना, वाक़ई बहुत याद आती होगी अपने देश की मिट्टी से निकलती सोंधी ख़ुश्बू की! ऐसा देश है अपना. पर क्या करें, यही ज़िंदगी है और इसमे भी एक अलग सा आनंद अनुभव होता है! चुन्नी और मुन्नी की कहानी अच्छी लगी. लेकिन हमारे हनुमान जी का मज़ाक, ना बाबा ना हम नही करते! बहुत ही क्यूट हें, प्यार आता है उनपर.

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Kahan gayab ho gayi? :-(

निशा said...

thank you Rewa. Yahan kuch na kuch jhagda chalta rahta hai. abhi hamari team kuch rebels ko cover karne gayi thi. Kenya ki bhi condition buri hai. jaldi hi mai kuch likhne ki koshish karungi. waise mai check daily karti rahti hun

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Nisha, plz take care of yourself. whre r u now? In uganda or somewhere else? wherever you r but do take care of urself. God bless you dear.

निशा said...

Hi Thank you Rewa'f'being such carin. When I go behin'd words you wrote here, I find such'a'lovin' sentiment tht I's just full wid tears in a sec'. Th'is the feeling what one gets only from sm'one who really cares.
Yes Life's tough here'n'wid every passin' day we find ourselves on d point'o'new danger. its just yesterday our vehicle's blown because some group mistaken it to their rival group.
But despite'o'danger our team leader is sure tht we'll complete the work here and go back to france as schedduled. Dont worry God looks his children
God bless you

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Hi Nisha, I know god is there to save us in every couple of minutes from every hurdle we meet. And you know every hurdle seemed to make us more determined. My best wishes is always with you. By the way did you reach to France? Happy Holi!

wid luv.

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Where are you? No news since long time? :-(

Demo Blog said...

भगवान से मजाक कराने का आनंद ही कुछ और होता है

-khetesh
हिन्दी इन्टरनेट

कुश said...

बहुत ही मासूम सी पोस्ट!...